मलाला के नाम ख़त
मलाला,
क्या सच में तुम लड़ रही हो
बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए ,
उनमें हर मुश्किल से टकरा कर
ज्ञान की भूख जगाने के लिए ,
चिंदी बीनते , हड्डी निकले बच्चों का
भाग्य बदलने के लिए ?
या गलती से
दुनिया के उन्ही आकाओं के साथ
तुम धूल झोंक रही हो हमारी आँखों में
जो असल जिम्मेदार हैं
करोड़ों चिंदी बीनते , हड्डी निकले बच्चों के जीवन में
अँधेरा भरने के लिए ?
मलाला ,
तुम शायद नहीं जानतीं
कि तुम्हें धातुओं के तमगों
और सम्मान - पत्रों के बोझ से लादने वाले लोग
पूरी दुनिया का भाग्य लिखते हैं !
दुनिया भर की खान - खदानों ,
खेतों - जंगलों पर कब्ज़ा करने वाले ये लोग ,
तेल के लिए युद्ध थोपने वाले ये लोग ,
करोड़ों मासूमों के हत्यारे ये लोग ,
अगर अपनी हवस पर विराम लगाते
तो हट्टे - कट्टे और पढ़े - लिखे होते
दुनिया के सभी बच्चे
और ये खुद
आम आदमियों के बीच
जी रहे होते आम ज़िन्दगी .
पर नहीं ,
हवाओं से बात करते ये ख़ास लोग
तुम जैसों की तलाश में रहते हैं हमेशा
कि कब तुम पर हमला हो
और व्यवस्था को चुनौती देते तुम जैसे लोग
अपना अभियान बंद कर
इनके अभियान में शामिल हो जाओ ,
इनके गीत गाओ ,
इन्हें सराहो ,
जनता के बीच इनकी बेहतर छवि बनाओ ,
सम्मान पाओ
और अपने लक्ष्य से भटक जाओ .
- सौरभ चतुर्वेदी
(२ २ नवम्बर २० १ ३ को रचित )
मलाला,
क्या सच में तुम लड़ रही हो
बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए ,
उनमें हर मुश्किल से टकरा कर
ज्ञान की भूख जगाने के लिए ,
चिंदी बीनते , हड्डी निकले बच्चों का
भाग्य बदलने के लिए ?
या गलती से
दुनिया के उन्ही आकाओं के साथ
तुम धूल झोंक रही हो हमारी आँखों में
जो असल जिम्मेदार हैं
करोड़ों चिंदी बीनते , हड्डी निकले बच्चों के जीवन में
अँधेरा भरने के लिए ?
मलाला ,
तुम शायद नहीं जानतीं
कि तुम्हें धातुओं के तमगों
और सम्मान - पत्रों के बोझ से लादने वाले लोग
पूरी दुनिया का भाग्य लिखते हैं !
दुनिया भर की खान - खदानों ,
खेतों - जंगलों पर कब्ज़ा करने वाले ये लोग ,
तेल के लिए युद्ध थोपने वाले ये लोग ,
करोड़ों मासूमों के हत्यारे ये लोग ,
अगर अपनी हवस पर विराम लगाते
तो हट्टे - कट्टे और पढ़े - लिखे होते
दुनिया के सभी बच्चे
और ये खुद
आम आदमियों के बीच
जी रहे होते आम ज़िन्दगी .
पर नहीं ,
हवाओं से बात करते ये ख़ास लोग
तुम जैसों की तलाश में रहते हैं हमेशा
कि कब तुम पर हमला हो
और व्यवस्था को चुनौती देते तुम जैसे लोग
अपना अभियान बंद कर
इनके अभियान में शामिल हो जाओ ,
इनके गीत गाओ ,
इन्हें सराहो ,
जनता के बीच इनकी बेहतर छवि बनाओ ,
सम्मान पाओ
और अपने लक्ष्य से भटक जाओ .
- सौरभ चतुर्वेदी
(२ २ नवम्बर २० १ ३ को रचित )
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